स्टीफन कोवे
स्टीवन कोवे जिनका पूरा नाम स्टीफन रिचर्ड्स कोवे जो एक महान् व्यक्तित्व, विकास कोच और प्रेरक वक्ता थे, जो अपनी विश्व-प्रसिद्ध पुस्तक ‘द 7 हैबिट्स ऑफ हाइली इफेक्टिव पीपल्स’ के लिए जाने जाते हैं और दुनिया भर के लोगों को सार्वभौमिक सिद्धांतों की शक्ति से हमेशा प्रेरित करते रहे।
स्टीफन रिचर्ड्स कोवे का जन्म 24 अक्तूबर, 1932 को लेक सिटी, यूटा में हुआ। स्टीफन कोवे ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एम.बी.ए. और ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट (पी-एच.डी.) की।
स्टीफन कोवे ने अपने जीवन मे विभिन्न प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों को प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदान कीं जिसके कारण उन्हें अपने शोध और मॉडल के लिए भी जाना जाता है इसके अलावा वे लीडरशिप में सुधार करने और बिक्री प्रशिक्षण प्रदान करने में वे माहिर थे। 17 जुलाई, 2012 को 79 वर्ष की आयु में एक दुर्घटना में कोवे की मृत्यु हो गई।
स्टीफन कोवे के अनुसार, सफलता के दस नियम इस प्रकार हैं-
नियम 1. हमेशा नियंत्रण में रहने के लिए 90/10 सिद्धांत का उपयोग करें
जब चीजें अनुकूलता और सही से काम नहीं करतीं तो लोग अकसर निराश हो जाते हैं लेकिन स्टीफन कोवे के अनुसार, जीवन के 10 प्रतिशत वही होता है जो आप करना चाहते है जबकि बाकी 90 प्रतिशत वही प्रतिकिया और परिस्थितिया होती है जिन्हें आप करना बिल्कुल पसद नही करते इसलिए जीवन अपने उद्दश्यों को लेकर कभी भी निराश नहीं होना चाहिए ।
इसलिए आपकी परिस्थितियाँ आपकी अपनी निजी पसंद के कारण हैं। बजब आप अपने जीवन की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं, तभी आप समझेंगे कि एक व्यक्ति के रूप में कैसे विकसित हुआ जाए।
नियम 2. फसल कानून का उपयोग करें
फसल कानून का कहना है कि आप जो बोते हैं, उसे काटते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, स्टीफन कोवे आपसे कहते हैं कि कल जीवन का आनंद लेने के लिए आज आपको बीज बोने चाहिए। जिस तरह किसानों को यह पता नहीं होता है कि आनेवाले मौसम में फसल अच्छी होगी या नहीं, उसी तरह अपने आप को आपको प्रत्येक कारवाई के प्रभाव को तौलना चाहिए जिससे आप एक बात को तो समझ जाएंगे कि आने वाली बुरी से बुरी स्थिति के लिए अपने आप को कैसे बचाया जा सकता है और अपने महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए योजना जरूर बनाएँ।
नियम 3. अद्वितीय योगदान देने के लिए सराहना
आप ऐसे लोगों के साथ काम करना शुरू करें, जो आपके काम को अद्वितीय योगदान देने के लिए आपकी सराहना करते हैं और आपकी काबिलियत के लिए आपको पुरस्कृत करते हैं। उन लोगों के लिए काम न करें, जो आपको मशीन की तरह या काम निकलने का साधन मात्र मानते हैं।
नियम 4. सक्रिय बनिए
किसी भी परिस्थिति को कंट्रोल करने का एक ये भी मंत्र है कि किसी परिस्थिति के अनियंत्रण में रहने की बजाय हमें उन परिस्थिति को सही समय पर नियंत्रित कर लेना चाहिए। स्व-निर्धारण, लड़ना और निर्णय लेने की क्षमता ही आपकी परिस्थिति को सकारात्मक रूप में परिवर्तित कर सकती है।
नियम 5. अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत करें
कोवे इस आदत को व्यक्तिगत लीडरशिप की आदत कहते हैं, जिनमें हमारा खुद का खुद पर नियंत्रण होना चाहिए और इसके साथ साथ हमे हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। ध्यान लगाने की इस आदत को विकसित कर हम व्याकुलता या भटकाव से बच सकते हैं और ज्यादा सक्रिय बनकर हम सफलता हासिल कर सकते हैं।
नियम 6. प्राथमिक चीजों को महत्त्व दें
हमें लीडरशिप और मैनेजमेंट के बीच के अंतर को समझना चाहिए। बाहरी दुनिया में लीडरशिप व्यक्तिगत दृष्टिकोण और व्यक्तिगत लीडरशिप के साथ ही शुरू होती है। हमें इस बात को भी समझना जरूरी है कि कौनसी चीज़ हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है और क्या अति आवश्यक है।
नीचे दिए गए निर्देशों के अनुसार हमें कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए–
जरूरी और बहुत जरूरी, जरूरी और बहुत जरूरी नहीं, जरूरी नहीं और जरूरी नहीं और बहुत जरूरी भी नहीं। कोवे का कहना है कि लोग अपना आधा समय बहुत जरूरी, लेकिन महत्त्वपूर्ण कार्यों में नहीं बिताते हैं। एक सफल और पूरा जीवन जीने के लिए आपको अपने उद्देश्य और उच्चतम प्राथमिकताओं को जानना और समझना चाहिए। जब आप अपनी दृष्टि, उद्देश्य और उच्चतम प्राथमिकताओं को समझते हैं तो आप उन चीजों को जाने देने में सक्षम होंगे, जो आपके लिए मायने नहीं रखती हैं।
नियम 7. हमेशा जीत के बारे में ही सोचें
यह बहुत जरूरी है, क्योंकि आपकी उपलब्धि दूसरों के साथ किए गए सहकारी संघर्षों पर निर्भर करती है। लेखक के अनुसार, हमें हमेशा जीत के बारे में ही सोचना चाहिए। कभी भी हार-जीत के बारे में सोचकर लड़खड़ाना नहीं चाहिए।
नियम 8. पहले दूसरों को समझने की कोशिश करें
यही आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी कहावत है। कोवे की यह आदत संचार से जुड़ी हुई है और यह अति प्रभावशाली व शक्तिशाली है। इस आदत को कोवे ने यह कहते हुए वर्णित किया है कि “लिखने से पहले निदान करें।” यह आदत बहुत आसान तथा सबसे प्रभावशाली है और साथ ही यह सकारात्मक रिश्तों को बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमेशा खुले दिमाग से लोगों की बातों को सुनना चाहिए और फिर अपने प्रभावशाली तरीके से अपने विचार को लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करें। इससे एक सकारात्मक समस्या को सुलझाने वाले वातावरण का निर्माण होगा।
नियम 9. तालमेल बिठाना
हमें हमेशा संपूर्ण लक्ष्य को पूरा करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। साथ ही काम करते समय हमारे विचार और हमारी क्रिया के बीच तालमेल बैठना भी बहुत जरूरी है।
नियम 10. कुल्हाड़ी को तेज करें
यह आत्म-नवीकरण की आदत है और इसके भीतर ही आपकी सभी दूसरी आदतें समावेशित हैं। इन आदतों का उपयोग कर आप मानसिक व शारीरिक दोनों रूप से विकसित हो सकते हैं। कोवे ने खुद को भी चार भागों में विभाजित किया है-अध्यात्म, मानसिकता, शारीरिक एवं सामाजिक भावुकता और इन सभी का समान रूप से विकास होना बहुत जरूरी है।