नरेंद्र मोदी
भारत के वर्तमान यसस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी है। उनका जन्म गुजरात के वडनगर के मोदी मोहल्ले में 17 सितंबर, 1950 को हुआ। अपने देश के लिए बदलाव का भाव रखने वाले हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी शिक्षा पूरी करके वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) से जुड़ गए और निष्ठापूर्वक कार्य करने लगे।
सन् 1987 में नरेंद्र मोदी को भाजपा की तरफ से शामिल होने का आमंत्रण मिला और उसके बाद पर भाजपा में शामिल हो गए और विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अक्टूबर 2001 में गुजरात में पहली बार मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को भाजपा ने अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया और उनके नेतृत्व में भाजपा ने अभूतपूर्व जीत हासिल की। 26 मई, 2014 को मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
नरेंद्र मोदी के अनुसार, सफलता के दस नियम इस प्रकार हैं-
नियम 1. अधिकार और कर्तव्य
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते है कि आपको अपने अधिकारो और उनके कर्तव्य के बारे में जानना जरूरी है, वो क्योकि ये अधिकार आने वाली पीढ़ियों को लोकतंत्र के प्रति, लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक भी करता है और संस्कारित भी करता है।
ये बात बड़ी चितंन का विषय की आज भी हमारे देश में नागरिकों के कर्तव्य और नागरिकों के अधिकार पर जितनी बहस होनी चाहिए, जितनी गहराई से बहस होनी चाहिए, जितनी व्यापक रूप में चर्चा होनी चाहिए, वह अभी नहीं हो रही है। मैं आशा करता हूँ कि हर स्तर पर – हर समय – जितना बल अधिकारों पर दिया जाता है, उतना ही बल कर्तव्यों पर भी दिया जाए। इन्ही अधिकार और कर्तव्य की दो पटरियों पर ही भारत के लोकतंत्र की गाड़ी तेज गति से आगे बढ़ सकती है।
नियम 2. अनुशासन
जीवन मे अनुशासन का होना हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण का विषय है क्योंकि इन्ही अनुशासन से हमारे जीवन की सफलता का आधारशिला मजबूत बनता है। ये बात सत्य है एक मजबूत आधार अनुशासन से आता है, अगर आप अनुशासनहीन हैं, तो सुबह करने वाला काम को शाम को करते हैं, दोपहर को करने वाला काम रात में देर से करते हैं। आपको यह लगता है कि काम हो गया, लेकिन इतनी ऊर्जा खराब होती है और हर पल हमें तनाव रहता है उसके बारे में हम ख्याल नही रखते है ।
नियम 3. उत्साह
अपने जीवन में उत्साह लाइए क्योकि उत्साह से भरा व्यक्ति अत्यंत ताकतवर होता है, क्योंकि अगर आपके अदर उत्साह नही है तो आप आगे बढ़कर कुछ नहीं कर सकते |
अगर व्यक्ति सकारात्मकता और उत्साह से भरा हुआ हैतो उसके लिए कुछ भी असभव नही है | किसी से कहा हैं की, निराशावाद हमेशा व्यक्ति को कमजोरी की ओर तथा आशावाद हमेशा शक्ति की ओर ले जाती है इसलिए हमेशा आशावाद बनाइये |
नियम 4. एकता
नरेद्र मोदी जी कहते है की विविधता में एकता और यही यही देश हिन्दुस्तान की ताकत और पहचान है। हमारे देश की भले ही भाषाएँ अनेक हों, जातियाँ अनेक हों, पहनावे अनेक हों, खान-पान अनेक हों; लेकिन अनेकता में एकता – यह भारत की ताकत है, भारत की विशेषता है।
हर पीढ़ी का एक दायित्व है और हर सरकारों की जिम्मेदारी है कि हम देश के हर कोने में एकता के अवसर खोजें, एकता के तत्त्व को उभारें। बिखराववाली सोच, बिखराववाली प्रवृत्ति से हम भी बचें, देश को भी बचाएँ।
नियम 5. चुनौती
चुनौतियों की एक अपनी एक ताकत होती है और मोदी जी कहते है उन लोगों को कभी भाग्यवान् नहीं मानता हूँ, जिनके जीवन में कभी चुनौतियाँ न आई हों | जिंदगी उन्हीं की बनती है, जो चुनौतियों से लोहा लेने का सामर्थ्य रखते हैं।
नियम 6. जीवन-शैली
आज हमारी जीवन-शैली बदल गई है। शारीरिक गतिविधियों की कमी और हमारे खान-पान के तरीकों में बदलाव भी हुआ है। समाज एवं परिवार को इस चीज पर ध्यान देने की जरूरत है।
जरूरत है छोटी-छोटी चीजों को सही तरीके से, नियमित रूप से करते हुए उन्हें अपनी आदत में बदलने की, उसे अपना एक स्वभाव बनाने की।
मैं तो चाहूंगा कि परिजन जागरूकतापूर्वक यह प्रयास करें कि बच्चे खुले मैदानों में खेलने की आदत बनाएँ। संभव हो तो हम परिवार के बड़े लोग भी इन बच्चों के साथ जरा खुले में जाकर खेलें। बच्चों को लिफ्ट में ऊपर जाने-आने की बजाय सीढ़ियाँ चढ़ने की आदत लगाएँ।
नियम 7. नकल
प्रधानमंत्री जी कहते है आपने कई बार और बार-बार यह सुना होगा कि नकल मत करना, नकल मत करना। मैं भी आपको वही बात दोबारा कह रहा हूँ। नकल को आप हर रूप में देख लीजिए, वह जीवन को विफल बनाने के रास्ते की ओर आपको घसीटकर ले जा रही है और परीक्षा में ही अगर चेक करने ने आपको पकड़ लिया तो आपका तो सबकुछ बरबाद हो जाएगा; और मान लीजिए, किसी ने नहीं पकड़ा तो जीवन पर, आपके मन पर एक बोझ तो रहेगा कि आपने ऐसा किया था और जब कभी आपको अपने बच्चों को समझाना होगा तो आप आँख में आँख मिला करके उन्हें नहीं समझा पाओगे। एक बार नकल की आदत पड़ गई तो जीवन में कभी कुछ सीखने की इच्छा ही नहीं रहेगी। तो फिर आप कहाँ पहुँच पाओगे?
नियम 8. मानवीय गुण
क्या आपका मन नहीं करता कि आप कुछ नया सीखें? आज स्पर्धा का युग है। परीक्षा में इतने डूबे हुए रहते हैं, उत्तम-से-उत्तम अंक पाने के लिए खप जाते हैं, खो जाते हैं। अवकाश में भी कोई-न-कोई कोचिंग क्लास लगी रहती है, अगली परीक्षा की चिंता रहती है।
कभी-कभी डर लगता है कि रोबोट तो नहीं हो रही हमारी युवा पीढ़ी, मशीन की तरह तो जिंदगी नहीं गुजार रही! दोस्तो, जीवन में बहुत कुछ बनने के सपने देखना अच्छी बात है, कुछ कर गुजरने के इरादे अच्छी बात है और करना भी चाहिए, लेकिन यह भी देखिए कि अपने भीतर जो मानवीय तत्त्व है, वह तो कहीं कुंठित नहीं हो रहा है, हम मानवीय गुणों से कहीं दूर तो नहीं चले जा रहे हैं।
नियम 9. एकाग्रता
मैं एक बात बताऊँ, मेरी अपनी- मैं कभी-कभी कोई लेक्चर सुनने जाता हूँ या मुझे सरकार में भी कुछ विषय ऐसे होते हैं, जो मैं नहीं जानता हूँ और मुझे काफी एकाग्र होना पड़ता है। तो कभी-कभी ज्यादा एकाग्र करके समझने की कोशिश करता हूँ तो भीतर एक तनाव महसूस करता हूँ।
फिर मुझे लगता है, नहीं-नहीं, थोड़ा रिलेक्स कर लूंगा तो मेरे लिए अच्छा रहेगा। तो मैंने अपने आप अपनी टेक्नीक विकसित की है। बहुत गहरी साँस लेता हूँ। तीन बार या पाँच बार गहरी साँस लेता हूँ। समय तो 30 सेकंड, 40 सेकंड, 50 सेकंड जाता है, लेकिन फिर मेरा मन एकदम से शांत होकर चीजों को समझने के लिए तैयार हो जाता है। हो सकता है, यह मेरा अनुभव हो, आपके भी काम आ सकता है।
नियम 10. चेतना
कुछ-न-कुछ ऐसी चीजें, जो आप नहीं जानते हैं, उनको जानने का प्रयास कीजिए, इससे आपको जरूर लाभ होगा। आपके भीतर की मानवीय शक्तियों को चेतना मिलेगी, विकास के लिए बहुत अच्छा अवसर बनेगा।
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