सुंदर पिचाई
भारतीय मूल और गूगल’ के सी.ई.ओ. सुंदरराजन पिचाई का जन्म 12 जुलाई, 1972 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक साधारण से तमिल परिवार में हुआ। उन्होंने जवाहर विद्यालय, अशोक नगर, चेन्नई से स्कूली शिक्षा पूरी की और वनवाणी मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल से बारहवीं कक्षा पूरी की थी उसके बाद सुंदर ने आई.आई.टी., खड़गपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
बाद में स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से ‘मैटेरियल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग’ में मास्टर ऑफ साइंस किया और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के ‘व्हार्टन स्कूल’ से प्रबंधन (एम.बी.ए.) की शिक्षा ग्रहण की। अपने पढाई को पूरा करने के बाद सुंदर पिचाई ने सन् 2004 में गूगल ज्वॉइन किया, जहाँ उन्हें ‘उत्पाद प्रबंधन’ और ‘नई खोजों एवं नए विचारों’ से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई और इसके तहत उन्होंने गूगल क्रोम, क्रोम ओ.एस. और गूगल ड्राइव जैसे उत्पादों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके साथ-साथ उन्होंने गूगल मैप्स और जी-मेल जैसे महत्त्वपूर्ण उत्पादों के एप्लीकेशन के विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसके तहत उन्हें 2 अक्टूबर, 2015 को गूगल का सी.ई.ओ. बनाया गया। उसके बाद उन्होंने अपने एक अल्फाबेट नमक की कंपनी बनायी और दिसंबर, 2019 को वह अल्फाबेट के सीईओ बन गए।
सुंदर पिचाई के अनुसार, सफलता के दस नियम इस प्रकार हैं-
नियम 1. सही दृष्टिकोण
सुंदर पिचाई कहते है किसी व्यक्ति को खुश होने के लिए अच्छा खाना , पढाई , पैसा ही काफी नही हो सकता उसके लिए अपने और दुसरो के प्रति दृष्टिकोण सही होना चाहिए |
नियम 2. माता-पिता
पिताजी ने मेरे लिए वह किया, जो ज्यादातर माता-पिता करते हैं। उन्होंने अपने जीवन में बहुत त्याग किया और अपनी इनकम का ज्यादातर हिस्सा मेरी शिक्षा पर खर्च किया, जिससे उनके बच्चे शिक्षित हो सकें।
नियम 3. अनूठी और अद्वितीय आकांक्षाएँ
मेरे मन में हर बार यही बात चोट करती है कि भारतीय लोगों की आकांक्षाएँ अनूठी और अद्वितीय हैं। भले ही वे उस पृष्ठभूमि से नहीं हैं, फिर भी वे बहुत अपेक्षा रखनेवाले होते हैं। यह सोचना झूठ है कि आप उतने अच्छे नहीं हैं। यह सोचना झूठ है कि आप किसी काम के नहीं हैं।
नियम 4. क्रांति का दौर
इस बात को हर कोई जनता है भारत एक विकासशील और विकसित होने की तरफ बढ़ रहा है और साथ ही लंबे समय से तकनीकी कंपनियों के लिए प्रतिभा का एक निर्यातक रहा है; लेकिन अब भारत अपनी ही क्रांति के दौर से गुजर रहा है। यदि आप आर्थिक रूप से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको उन समस्याओं से अलग होना होगा, जो पहले आपको पीछे ले जाती रही हों। यदि आप लोगों के लीडर बनना चाहते हैं तो आपको शब्दों का मास्टर बनना होगा।
नियम 5. सबसे शक्तिशाली
मैं भाग्यशाली हूँ कि इस जगत् का हिस्सा हूँ; परंतु मैं ऐसा कभी नहीं सोचता कि मैं सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हूँ। अतीत से चिपके रहने की अपेक्षा मैं भविष्य का स्वागत करूँगा।
नियम 6. प्रभाव का चक्र
प्रभाव का चक्र उन चीजों को संदर्भित करता है, जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं- अपने काम में आगे बढना, अपने रिश्तों को समझना और उन्हें अच्छा करना, अपने शरीर की देखभाल करना आदि और चिंता का विषय उन चीजों से है, जिन्हें आप शायद ही नियंत्रित कर सकते हैं – आतंकवाद, मौसम, दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं, पशु क्रूरता आदि। आपको अपनी सारी ऊर्जा को प्रभाव के घेरे में निवेश करना चाहिए, क्योंकि वहाँ आप प्रगति कर सकते हैं और वह पूर्ति प्राप्त कर सकते हैं, जो हर व्यक्ति जीवन में चाहता है।
नियम 7. वर्तमान के लिए डिजाइन
खुशिया लाने जुर उनमे जीने का इंतज़ार मत करिये क्योकि खुशी वह चीज नहीं है, जिसे आप भविष्य के लिए स्थगित करें। यह वह चीज है, जिसे आप वर्तमान के लिए डिजाइन करें। या तो आप समय का सदुपयोग करें, अन्यथा समय आपको नहीं बख्शेगा |
नियम 8. कृतज्ञता की भावना
अगर आप खुद को कुछ देना चाहते है तो आपका अपने लिए कुछ बनना एकमात्र तरीका है। मैं पृथ्वी पर रहने के अवसर के लिए आभारी हूँ। सुबह मैं कृतज्ञता की भावना से जागता हूँ। व्यक्ति जितना अधिक सुरक्षा चाहता है, उतना ही वह अपने जीवन से नियंत्रण खो देता है।
नियम 9. कोशिश
ये बात सच है की हम उन चीजों पर काम करने की कोशिश करते हैं, जिन्हें भविष्य में करोड़ों-अरबों लोग हर दिन उपयोग में लाएँगे। प्रभावी संचार में 20 फीसदी हिस्सा आपके ज्ञान का है और 80 फीसदी हिस्सेदारी उस ज्ञान के बारे में आपकी संवेदना (कैसा महसूस करते हैं) की है।
नियम 10. सुदृष्टिकोण
हम गहन कंप्यूटर विज्ञान का उपयोग करने की कोशिश करते हैं, ताकि समस्याओं को सुलझाने के लिए हमें एक सुदृष्टिकोण प्राप्त हो सके। हम अपने अवचेतन मन में जो कुछ भी सोचते हैं और निरंतर उसकी पुनरावृत्ति करते रहते हैं वह एक दिन वास्तविकता बन जाएगी।