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किसी ने कहा तुम बहुत अच्छे हो,
मैंने कहा यही तो खराबी है!
आज आईना भी बोल पड़ा,
खुश रहने का दिखावा करना छोड़ दो…
इंसान दो जगह हमेशा हार जाता है
एक अपने प्यार से एक अपने परिवार से !
सब्र करो,
अगर तुम्हारा है तो किसी और का नही होगा !!
हंस कर कहते हैं लोग
बातें रुलाने वाली
एक तुमसे बातें क्या बंद हुई
हम तो खामोश ही रहने लग गये |
झिझक, सिकन, तलब, बेक़रारी
सब मोहब्बत के खेल हैं |
कहने को तो बहुत सी बातें है पर
चुप रहने में ही सुकून है |
जिम्मेदारियां आपको वो बनाती है,
जो आप कभी बनना नही चाहते..
जब किस्मत और हालात खराब हो तो,
बहुत कुछ सुनना और सहना पड़ता है..
चुप रहना गुरूर नहीं,
सब्र है”.
जब कह नही पाओ तो रो लिया करो
रब सब जानता हैं..!
ठीक कुछ नहीं होता,
बस आदत सी हो जाती है….
हम टुटे हुए लोग यूंही नहीं मुस्कराते
हम गमो से छिनकर लाते है खुशी अपनी !
एक हुनर है चुप रहने का..
एक ऐब है कह देने का..
आज कल अकेले रहने में ही
सुकून है..!!
बड़े होते होते एक बात समझ आई कि,
खामोश रहना बयाँ करने से बेहतर है…!!
अपने वो होते हैं,
जो समझते भी है और समझाते भी हैं!
किसी के उतने ही रहो
जितना वो तुम्हारा हैं…!
एक अजीब सी कैफ़ियत है उसके बगैर रह भी लेते हैं,
रहा भी नहीं जाता..
खामोश रहना ही बेहतर है,
बात तो वेसे भी कोई नहीं समझता ।!!
खामोशी कभी बेवजह नहीं होती,
कुछ दर्द आवाज़ छीन लेते हैं !
बुरा सबको लगता है,
बस कुछ लोग ऐहसास नहीं होने देते
मेरी जगह तुम होते,
यकीं करो थक गए होते.
बिना आवाज के रोना,
रोने से ज्यादा दर्द देता है…
पंसदीदा लोग
तकलीफ बहुत देते है
दोबारा पलट के नहीं आऊँगा
इतना गुरूर तो रखता हूँ..!!
शरीफ कोई नहीं होता,
सबके अपने राज होते हैं !
खुद का साथ दो,
तुमसे अच्छा तुम्हारा कोई साथी नहीं.
जो सहना सिख जाता हैं…
वो कहना छोड़ देता हैं…!!
बेइंतहा शोर है मेरे अंदर और
मुझे खामोशी पसंद है…!
बात सच है कि,
टूटे हुए लोग हसते बहुत है..!
मैं खुद अकेला रह गया
सबका साथ देते देते
और आखिर में कुछ नहीं बचा,
मेरे पास मेरे अलावा….
मैं अब खुद भी नहीं चाहता,
की कोई अब मुझे चाहे !
बिछड़कर क्या लौटेंगे वो
साथ होकर हमारे नहीं थे जो..
जिस दिन समझोगे,
उस दिन ढूंढोगे !
थोड़े नासमज थोड़े नादान है हम,
पर जैसे भी है सिर्फ तुम्हारे है हम !
इज्जत, भरोसा, मोहब्बत और दुआ
कितने लफ्जों में सिमटे हो बस एक तुम
गुनाह समझो या इश्क़….
जो भी था बस एक ही था ।।
सब खफ़ा है मेरे लहजे से,
पर मेरे हाल से कोई वाकिफ़ नहीं!!!.
लम्हों की खताए…
लफ्ज़ो में क्या बताए…
बोझ बन जाने से,
याद बन जाना बेहतर है ।।
वक्त वक्त की बात है कल जो रंग थे,
आज दाग हो गए
परवाह मत करो जमाने की,
इसकी तो आदत ही है सताने की..!
आज आइना भी ये सवाल कर बेठा ?
किसके लिए तू अपना ये हाल कर बेठा…।
बदलना कौन चाहता है
लोग मजबूर कर देते हैं!
मैं अगर सब जैसा होता,
यकीन करो इतना परेशान ना होता !
जिन्हें बात करने का सलीका होता है,
उन्हें खामोशिया ज्यादा पसंद होती हैं।
जब लोगों का मन भर जाता है,
बात करने का तरीक़ा बदल जाता है।
हम तेरी मजबूरी समझते-समझते
तेरी असलियत समझ गए”
तेरी खुशी ज़रूरी है
हमारा बात करना नहीं