गुजारा भत्ता क्या है : क्या इंडिया में पति भी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं?

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गुजारा भत्ता क्या है | Gujara Bhatta

गुजारा भत्ता एक ऐसा कानून है, जिसके तहत किसी जरूरतमंद को आर्थिक मदद दी जाती है ताकि वह अपनी जिंदगी ठीक से चला सके। यह आमतौर पर पति-पत्नी के बीच तलाक या अलगाव के मामलों में दिया जाता है। इसका मकसद यह है कि कमजोर व्यक्ति भी इज्जत से अपनी जिंदगी जी सके।

 

 




क्या पति भी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं?

गुजारा भत्ता (Maintenance) आमतौर पर महिलाओं के लिए एक वित्तीय सहायता के रूप में देखा जाता है, लेकिन भारतीय कानून में यह अधिकार केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है। जरूरतमंद पति भी गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं, बशर्ते वे कुछ शर्तों को पूरा करते हों।

1. कानूनी आधार: हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पति गुजारा भत्ता की मांग कर सकते हैं।

अगर पत्नी आर्थिक रूप से मजबूत है और पति आर्थिक रूप से कमजोर है, तो कोर्ट धारा 24 के तहत पति को गुजारा अंतरिम गुजारा भत्ता (Interim Maintenance) देने का आदेश दे सकता है।

धारा 25 में स्थायी गुजारा भत्ता (Permanent Maintenance) की व्यवस्था है, जो तलाक के बाद दिया जाता है।

दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC Section 125): CrPC की धारा 125 में स्पष्ट है कि अगर कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है, चाहे वह पति या पत्नी हो, तो वह गुजारा भत्ता की मांग कर सकता है।

2. शर्तें: पति को यह साबित करना होगा कि वह खुद का खर्च नहीं उठा सकता लेकिन पत्नी की आय पति से ज्यादा होनी चाहिए।

3. कोर्ट में आवेदन: पति को कोर्ट में याचिका दाखिल करनी होगी और अपनी आर्थिक स्थिति के प्रमाण देने होंगे और उसके बाद कोर्ट दोनों पक्षों की आय और जरूरतों को देखकर फैसला करेगा।

कब पति गुजारा भत्ता मांग सकते हैं?

यह आमतौर पर उन मामलों में लागू होता है, जहां एक व्यक्ति अपने जीवनयापन के लिए दूसरे व्यक्ति पर निर्भर हो। गुजारा भत्ता पति या पत्नी दोनों में से किसी को भी दिया जा सकता है, लेकिन अगर कोई पति किसी गुजारा भत्ते की मांग करता है तो ये उनकी आर्थिक जरूरतों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

1. वह आर्थिक रूप से कमजोर हो: यदि पति के पास कोई स्थायी आय का स्रोत नहीं है या उसकी आर्थिक स्थिति खराब है।

2. पत्नी की आय अधिक हो: अगर पत्नी की आमदनी ज्यादा है और वह अच्छी नौकरी या व्यवसाय में है।

3. पति का स्वास्थ्य कमजोर हो: अगर पति शारीरिक या मानसिक रूप से अस्वस्थ है और काम करने में असमर्थ है।

कुछ अहम बातें:

गुजारा भत्ता का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जरूरतमंद व्यक्ति, चाहे वह पति हो या पत्नी, अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी कर सके और इज्जत के साथ जीवन जी सके। यह सहायता उन परिस्थितियों में दी जाती है, जब एक पक्ष आर्थिक रूप से कमजोर हो और अपने खर्चों का ध्यान न रख सके।

भारत का कानून हर व्यक्ति के लिए समानता का अधिकार सुनिश्चित करता है। अगर पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है और पति आर्थिक रूप से कमजोर, तो पति को गुजारा भत्ता मांगने का पूरा हक है। समाज में इस विषय पर जागरूकता की कमी है, लेकिन यह अधिकार भारतीय कानून में पूरी तरह मान्य है। सही जानकारी और कानूनी मदद के साथ जरूरतमंद पति या पत्नी अपनी जीवनयापन की जरूरतें पूरी कर सकते हैं।

Disclaimer: यह जानकारी केवल जागरूकता के लिए है। हर मामले की परिस्थितियां अलग होती हैं बेहतर होगा कि किसी कानूनी कार्रवाई से पहले किसी अनुभवी वकील की सलाह जरूर लें।

 

 

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