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सबसे पहली स्पेस सैल्फी कब और किसने ली थी
आज की डिजिटल दुनिया में सैल्फी लेना एक आम बात हो गई है लेकिन स्मार्टफोन आने के बाद यह चलन और भी लोकप्रिय हो गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सैल्फी लेने का यह ट्रेंड धरती से बाहर, अंतरिक्ष में कब शुरू हुआ होगा? यह सिर्फ कहानी नही बल्कि एक मोटिवेशनल है, क्योंकि यह एक ऐसी उपलब्धि थी जिसने विज्ञान और मानव जिज्ञासा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
दुनिया की सबसे पहली ऐतिहासिक स्पेस सैल्फी 12 नवंबर 1966 को अंतरिक्ष यात्री बज़ एल्ड्रिन (Buzz Aldrin) ने ली थी। बज़ एल्ड्रिन उस समय नासा के जेमिनी 12 मिशन (Gemini 12 Mission) पर थे। उन्होंने यह सैल्फी पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष के बाहर (spacewalk) करते हुए ली थी।
कैसे ली गई यह सैल्फी?
उस समय स्मार्टफोन का तो सवाल ही नहीं था लेकिन बज़ एल्ड्रिन ने यह तस्वीर Hasselblad कैमरा का उपयोग करते हुए लिया था। यह एक विशेष प्रकार का कैमरा था जिसे नासा ने अंतरिक्ष में फोटोग्राफी के लिए डिज़ाइन किया था। बज़ ने इस कैमरे को अपने हेलमेट के वाइज़र (visor) पर सेट करके और अंतरिक्ष में तैरते हुए अपनी खुद की एक सैल्फी क्लिक की। लेकिन सवाल यह है की आखिर जेमिनी 12 मिशन क्यो चलाया गया था?
जेमिनी 12 मिशन: एक परिचय
जेमिनी 12 मिशन नासा का आखिरी जेमिनी मिशन था, जिसे जेमिनी प्रोग्राम के तहत चलाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य था की :
– अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेसवॉक के दौरान प्रशिक्षित करना।
– अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने की तकनीकों को विकसित करना।
– अपोलो मिशन की तैयारी करना, जिसने बाद में मानव को चांद तक पहुंचाया।
इस सैल्फी का महत्व
यह सैल्फी सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी, बल्कि यह अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई शुरुआत का प्रतीक ( इंडीकेट ) था ।
इस तस्वीर ने यह दिखाया कि अंतरिक्ष यात्री न केवल जटिल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं, बल्कि अंतरिक्ष में अपने क्षणों को भी रिकॉर्ड कर सकते हैं।
यह सैल्फी आज भी अंतरिक्ष इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है और इसे मोटिवेशन के रूप में देखा जाता है।
आज की स्पेस सैल्फी: तकनीक और क्रेज़
बज़ एल्ड्रिन की पहली स्पेस सैल्फी के बाद, कई अंतरिक्ष यात्रियों ने सैल्फी ली। आज, स्पेस सैल्फी लेना लगभग एक ट्रेंड बन गया है। आधुनिक मिशन में उपयोग होने वाले उपकरण अब कहीं ज्यादा एडवांस और हल्के हैं।
2015 में ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री टिम पीक ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सैल्फी ली थी।
2019 में भारतीय चंद्रयान-2 मिशन ने भी चंद्रमा की कक्षा में अपनी सैल्फी क्लिक की।