मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहार में से एक है, जिसे हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है क्योंकि ये त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और सर्दियों के समाप्त होने का प्रतीक है, इसे फसलों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह रबी की फसल काटने का समय होता है। आइए, जानते हैं कि मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है।
मकर संक्रांति का अर्थ
“मकर” का मतलब है मकर राशि और “संक्रांति” का मतलब है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह दिन खास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।
मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है
1. तिल और गुड़ का महत्व:
इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य भोजन बनाए जाते हैं। तिल और गुड़ में खाने से शरीर को सर्दियों में गर्मी मिलती है और यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
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2. पवित्र नदियों में स्नान:
गंगा, यमुना, गोदावरी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। इससे पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।
3. पतंगबाजी:
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा काफी लोकप्रिय है, खासकर गुजरात और राजस्थान में। इसे उत्सव का प्रतीक माना जाता है।
4. दान-पुण्य:
इस दिन दान करना बेहद शुभ माना जाता है। लोग तिल, गुड़, कपड़े और अन्न का दान जरूरतमंदों को करते हैं।
मकर संक्रांति किसानों के लिए खुशी का समय है, क्योंकि यह फसल कटाई का त्योहार है। नए अनाज की कटाई होने से घरों में समृद्धि आती है। साथ ही यह त्योहार समाज में मेलजोल और भाईचारे का संदेश देता है।
मकर संक्रांति न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह प्रकृति, मौसम और समाज के साथ जुड़ने का अवसर भी है। यह हमें सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने और दान-पुण्य करने की प्रेरणा देता है।
यह त्योहार हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा और खुशियां लेकर आता है। मकर संक्रांति को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाना हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है।